Monday 19 September 2016

Dehradun Se Chandigarh

देहरादून से चंडीगड़

हैल्लो दोस्तों मेरा नाम रणबीर है और मेरी उम्र 25 साल की है। दोस्तों में भी अपनी आप बीती कामुकता डॉट कॉम के ज़रिए आप सभी लोगो से शेयर करना चाहता हूँ। दोस्तों बात यह बात आज से 1 साल पहले की है.. जब में चंडीगड़ एक जरूरी काम के सिलसिले में गया था। फिर में शाम 4 बजे देहरादून के लिए बस अड्डे पर बस का इंतज़ार कर रहा था। फिर एक 35-40 साल के सज्जन एक बहुत ही खूबसूरत 22-23 साल की लड़की के साथ मेरे पास आये। फिर वो बोले कि क्या आप देहरादून जा रहे है? तभी मैंने हाँ कह दी फिर मेरे हाँ कहने पर वो बोले कि ये मेरी साली है और इसे भी देहरादून जाना है.. प्लीज़ इसे आप अपने साथ बैठा लें।
फिर मैंने उसे ऊपर से नीचे तक देखा, उसका गदराया बदन और उसके सुडोल बूब्स स्वेटर से बाहर आने को बैताब थे। तभी मैंने तुरंत उन्हे बाहर से ही अपनी सीट नंबर बता दी। फिर वो दोनों बस में गये और मेरी सीट के पास वाली सीट पर अपना बेग रखकर वो लड़की बैठ गयी और वो सज्जन नीचे उतर कर मेरे पास आए और फिर मुझे थॅंक्स कहने लगे। फिर वो कुछ और बात करना चाहते थे परंतु बस स्टार्ट हो गयी तो में तुरंत बस में चला गया। तभी मुझे आता देख उस लड़की ने अपना बेग अपनी गोद में रख लिया। फिर मैंने उसका बेग लेकर ऊपर स्टेण्ड पर रख दिया.. लेकिन उससे बेग लेते वक़्त मेरा एक हाथ उसकी चूची को और दूसरा हाथ उसकी जाँघ को छू गया था।
फिर मैंने उसको देखा तो वो मुस्करा रही थी। तभी मैंने सोचा हँसी तो फंसी। फिर बस चल पड़ी थी और थोड़ी देर में लड़की ने मुझसे बातें शुरू कर दी। फिर वो बोली कि मेरा नाम रीता है। में रामनगर रहती हूँ लेकिन अभी कुछ समय पहले ही मेरे पापा का तबादला देहरादून में हुआ है। वो वहाँ पर एक गोदाम में इंचार्ज है। में पहली बार उनके पास जा रही हूँ। मेरे जीजा जी चंडीगड़ में प्राईवेट कंम्पनी में मॅनेजर है।
फिर में भी उससे खुलने के लिए बातें करता रहा। बस पूरी भरी थी और बस में खड़े खड़े भी लोग जा रहे थे। फिर बस हिचकोले खाती तो खड़ी वाली सवारी मेरे ऊपर झुक जाती थी और में भी रीता की तरफ झुक जाता। फिर उसके भाव से मुझे भी नहीं लगा कि उसे बुरा लग रहा था।
फिर में भी अपने पैर और कोहनी फैला कर बैठ गया। तभी मेरी कोहनी उसकी चूची को छू रही थी। पहली बार तो वो सिकुड कर बैठ गयी। फिर मैंने देखा कि खड़ी हुई सवारी हमें घूर रही थी.. तो में भी ठीक से बैठ गया उससे बिल्कुल चिपककर। फिर हमारी जांघे आपस में रगड़ खा रही थी और उतेज्ना पैदा कर रही थी। तभी इस रगड़ा-रगड़ी में कब मेरी आँख लग गयी मुझे पता नहीं चला।
फिर यमुना नगर आने पर रीता ने मुझे जगाया तो मैंने देखा कि अधिकतर सवारी उतर गयी थी और शाम का थोड़ा थोड़ा अंधेरा भी हो गया था।
तभी रीता ने चाय पीने की इच्छा ज़ाहिर की तो तभी मैंने अगली बार बस के रुकने पर बस से उतर कर चाय और चिप्स ले आया। फिर 10 मिनट बाद बस चल पड़ी। बस में 10-12 सवारी रह गयी थी। फिर ठंड भी ज़्यादा लगने लगी और रीता ठंड के मारे सिकुड कर बैठ गयी। तभी में भी खिड़की बंद करने लगा तो देखा कि खिड़की का शीशा टूटा हुआ था। फिर मैंने पीछे देखा तो आखरी सीट खाली थी। फिर मैंने रीता को पीछे वाली सीट पर चलने के लिए कहा और हम आखरी सीट पर शिफ्ट हो गये। खिड़की बंद होने के बाद भी रीता को ठंड लग रही थी। तभी उसने बोला कि मेरे बेग से मेरा शाल निकाल दीजिए। फिर मैंने शाल निकाल कर उसके पैरों पर डाल दिया। फिर थोड़ी देर तक हम इधर-उधर की फालतू बातें करतें रहे। फिर उसने अपना शाल मेरे पैरों पर भी ढक दिया और अपने गले तक ढक लिया। तभी में समझ गया कि रीता गरम हो रही हैं। तभी में यकीन करने के लिए उसकी चुचियों को अपनी कोहनी से दबाने लगा लेकिन उसने कोई एतराज नहीं किया तो मेरा हौसला बढ़ा और मैंने उसका हाथ अपने हाथ में ले लिया और फिर धीरे धीरे सहलाने लगा। तभी उसने अपना सर मेरे कंधे पर रख दिया। फिर मैंने उसके गालों को चूम लिया तो उसने अपने होंठ मेरी तरफ कर दिए। फिर में धीरे धीरे उसके होंठ चूसने लगा।
फिर में मौका देखकर उसके स्वेटर और टॉप ऊपर कर धीरे धीरे उसकी गठीली चूचियां दबाने लगा। शायद रीता को मज़ा आ रहा था और उसने मुझे पागलो की तरह चूमना शुरू कर दिया। हमारी चुम्मा-चाटी की आवाज़ सुनकर अगली सीट पर बैठे बुजुर्ग साहब पीछे मुड़कर देखने लगे। तभी हम दोनों सीधे होकर बैठ गये। फिर थोड़ी देर बाद मैंने उसका हाथ पकड़ कर अपने खड़े हुए लंड पर रख दिया। फिर उसने एकदम से अपना हाथ हटा लिया। फिर मैंने दोबारा उसका हाथ अपने लंड के ऊपर रख दिया। लेकिन इस बार उसने अपना हाथ नहीं हटाया और पेंट के ऊपर से ही दबाने लगी। फिर मैंने उत्तेजना में उसकी निप्पल को उंगली और अंगूठे से जोर से दबा दिया। तभी उसके मुहं से उईईईई निकल पड़ी।
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फिर हमारे आगे बैठे बुज़ुर्ग सो रहे थे तो उन्होंने आवाज़ नहीं सुनी। इतने में साहरनपुर आ गया। फिर कंडक्टर ने बुजुर्ग साहब को जगाया और साहरनपुर आने की सूचना दी। वो उतरते वक़्त हमको घूर के देख रहे थे। फिर साहरनपुर से चलते ही बस में हमको मिलाकर सिर्फ़ 4 सवारियां थी और बाकी 3 आगे बैठी थी। अब तक हम दोनों बहुत उत्तेजित हो चुके थे। मेरे सब्र का बाँध टूट चुका था। जैसे ही बस शहर से बाहर आई ड्राइवर ने लाइट्स बंद कर दी। में बगेर वक़्त गवाए उसकी चूचियों को चूसने लगा और एक हाथ उसकी सलवार के ऊपर से ही चूत रगड़ने लगा। फिर रीता ने मेरा हाथ पकड़ कर अपनी सलवार के अंदर कर दिया और मेरी पेंट कि ज़िप खोलकर मेरा 7 इंच का लंड बाहर निकाल कर ऊपर नीचे करने लगी। फिर उसकी चूत से रस नदी की तरह बह रहा था।
फिर मैंने उसकी चूत को रगड़ा तो उसके मुहं से सिसकियाँ निकल रही थी। अह्ह्ह सीईईई आप ये क्या कर रहे हो.. मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा। फिर मैंने उसकी रसीली चूत में अपनी उंगली घुसा दी और अंदर बाहर करने लगा। फिर हम दोनों फ़चा फ़च्छ की आवाज़ से बहुत उत्तेजित हो रहे थे। रीता बहुत उत्तेजित हो गयी थी और वो अपने चूतड़ उछाल-उछाल कर पूरा मज़ा ले रही थी.. ओह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्हहैई हाए और जल्दी से जल्दी करो.. फाड़ दो मेरी चूत। फिर में अपनी 2 उंगलियां उसकी चूत में और तेज़ी से अंदर बाहर करने लगा। तभी थोड़ी देर में रीता झड़ गयी और फिर उसने निढाल होकर अपना सर मेरे कंधे पर रख दिया। मैंने अपना हाथ उसकी सलवार से पोंछ लिया। रीता अपनी सलवार ठीक करने लगी। तभी में बोला कि तेरा तो काम हो गया लेकिन मेरी आग कैसे शांत होगी?
फिर यह बात सुनकर रीता हँसने लगी और फिर मेरी पेंट की ज़िप खोल मेरे लंड को पकड़ कर ऊपर नीचे करने लगी। तभी मैंने रीता की गर्दन पकड़ कर अपने लंड की तरफ़ झुका दिया। तभी उसने पहले लंड का सुपाड़ा चूसा फिर आधा लंड मुहं में लेकर अंदर बाहर करने लगी। तभी मैंने उससे कहा कि रीता लगता हैं जीजा जी से बहुत सीखा हैं? फिर वो कहने लगी कि अरे एक दिन मैंने जीजा जी और दीदी को चुदाई करते देख लिया और फिर जीजा जी को पता लग गया तो उन्होंने मौका देखकर किचन में मुझे पकड़ लिया और अपना लंड पजामे से निकालकर मुझे पकड़ा दिया और फिर मेरे हाथ का स्पर्श पाते ही उनका लंड तन गया। फिर इससे पहले कि में कुछ बोल पाती उन्होने लंड को मेरे मुहं में डाल दिया और खुद ही अंदर बाहर करने लगे। इतने में दीदी की आवाज़ आई तो तुरंत लंड पजामे में करके खसक गये। फिर तब से जब उनको मौका लगता वो चूचियां दबा देते या लंड चुसवाने लगते थे। फिर एक दिन जब में किचन में उनका लंड चूस रही थी तो दीदी ने देख लिया.. तभी दीदी ने तुरंत जीजाजी को मुझे देहरादून भेजने के लिए कहा।
फिर थोड़ी देर में देहरादून आ गया रात के 12 बज गये थे। फिर हम देहरादून से पहले ही उतार गये। मेनरोड पर ही नयी कॉलोनी थी.. उसे वहीं पर जाना था। कॉलोनी में 5-6 मकान ही थे, इसलिए मकान ढूँडने में ज्यादा दिक्कत नहीं हुई। फिर में सोच रहा था कि अब तो मुठ मारके ही काम चलाना पड़ेगा। मकान पर ताला लगा था। फिर एक पड़ोस के मकान मालिक से पूछा तो पता चला कि किसी रिश्तेदार की मौत पर बाहर गये है.. वो तो कल आएँगे। लेकिन उनको रीता के आने की खबर थी तो चाबी पड़ोस में ही देकर गये थे, यह सुनकर मेरी तो किस्मत खुल गयी। दोस्तों ये कहानी आप कामुकता डॉट कॉम पर पड़ रहे है।
फिर हम फटाफट घर खोलकर अंदर आ गये। फिर दरवाजा बंद करके मैंने रीता को दबोच लिया और उसके होंठ चूसने लगा। मुझसे और इंतज़ार नहीं हो रहा था और रीता भी गर्माने लगी थी। फिर मैंने उसके सारे कपड़े उतार फेंके जिससे रोशनी में उसका दूधिया बदन ग़ज़ब ढा रहा था। बड़े बड़े बूब्स पूरा बदन गदराया हुआ ऊपर से नीचे तक एकदम सेक्सी शरीर। तभी मुझे घूरता देख वो शरमा गयी और अपनी चूचियां अपने दोनों हाथों से छिपाने लगी। तभी मैंने उसे वहाँ पर पड़े बेड पर लेटा दिया और चूचियों को चूसने लगा। फिर अपना एक हाथ उसकी जाँघो पर फैरता हुआ चूत सहलाने लगा।
तभी रीता भी गर्म होने लगी और मुझे अपने कपड़े उतारने को कहा। फिर मैंने तुरंत अपने कपड़े उतार कर उसके पास में लेट गया। तभी वो बोली कि अब में तुम्हारी आग को ठंडी करती हूँ, यह कहकर वो मेरा लंड चूसने लगी। तभी मैंने उसे 69 पोजिशन पर लेटने को कहा तो उसने लंड बगेर मुहं से निकाले अपनी चूत मेरे मुहं पर कर दी। फिर चूत के दाने को जीभ से चाटने के बाद मैंने जीभ उसकी चूत में घुसा दी। तभी रीता के मुहं से सिसकियाँ और तेज़ हो गयी थी। अब में भी पागल होता जा रहा था। फिर मैंने उसे सीधा लेटाकर उसकी टाँगो के बीच बैठकर अपना लंड उसकी चूत में एक ही झटके में घुसा दिया और 2 मिनट तक ऐसे ही लेटा रहा।
तभी रीता बोली क्या सारी रात ऐसे ही पड़े रहना है? तभी मैंने उसकी चूत में जोरदार धक्के मारने शुरू कर दिए.. फ़चा-फ़च और बेड की चू-चू की आवाज़ से कमरा गूँज रहा था। तभी उसके मुहं से आवाजें आने लगी वो कह रही थी.. हाए-हाए उहह उहह और जोरो से चोदो रणबीर फाड़ डालो आज मेरी चूत। यह सुनकर में और तेज़ी से चोदने लगा। फिर वो कह रही थी.. अहह अहह बहुत मज़ा आ रहा हैं.. में झड़ने वाली हूँ रणबीर और फिर 5-7 धक्को में रीता झड़ गयी। तभी मैंने उससे कहा कि रीता में भी झड़ने वाला हूँ, कहाँ निकालूँ तेरे अंदर कि बाहर? फिर वो बोली कि बाहर ही निकालो। फिर मैंने झट से लंड चूत से निकालकर चूचियों के ऊपर कर अपना सारा वीर्य निकाल दिया।
फिर रीता ने मेरे लंड को चाट-चाट कर साफ कर दिया फिर थोड़ी देर तक हम ऐसे ही लेटे रहे। तभी मैंने कपड़े पहने और रीता बाथरूम में चली गयी। फिर बाथरूम से निकलकर उसने कपड़े पहनने की कोई जल्दी नहीं की और मेरे गले लग गयी और कहने लगी कि जीजू ने तो मुझे सिर्फ लंड चूसना सिखाया था.. लेकिन आज तो तुमने मुझे चुदना सिखाया दिया है। आज तुमने मुझे चोदकर पूरा किया है। बोलो अब दूसरी चुदाई कब करोगे? तभी उसकी बात सुनकर मन तो कर रहा था कि एक बार फिर चुदाई कर लूँ.. लेकिन मुझे देर बहुत हो गयी थी। फिर मैंने उसे कहा कि अगली चुदाई बहुत जल्द होगी और फिर मैंने रीता का मोबाईल नंबर लिया और दोबारा मिलने का वादा करके उसके होंठो को चूमकर बाय किया और चल दिया। तो दोस्तों मेरी थी मेरी यह सत्य घटना ।।
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मस्तानी आंटी का प्यार मिला

मस्तानी आंटी का प्यार मिला

हाय फ्रेंड्स मैंने कामुकता डॉट कॉम की बहुत सारी स्टोरी पढ़ी है लेकिन आज मैंने सोचा कि आप लोगो का भी मुझ पर हक़ बनता है। आज में भी आप लोगो को अपनी स्टोरी सुनाने जा रहा हूँ और मुझे उम्मीद है कि आप सभी लोगो को मेरी स्टोरी बहुत पसंद आएगी।
दोस्तों मेरा नाम संदीप हैं और में कर्नाटक का रहने वाला हूँ और एक कम्पनी का एंप्लाय हूँ। मेरा उम्र 23 साल हैं और मेरी हाईट 5.9 इंच है और मेरा लंड 8 इंच का हैं। अब में अपनी स्टोरी पर आता हूँ।
ये कहानी आज से 5 साल पहले की हैं। जब में 18 साल का था और मुझे सेक्स के बारे में कुछ भी पता नहीं था। एक दिन मेरे दोस्त ने मुझे बताया था कि सेक्स क्या होता हैं और उसने मुझे कई ब्लू फिल्म भी दिखाई थी और उस दिन ब्लू फिल्म देखकर मुझे सेक्स का भूत चड़ गया। ये बात तब की जब मैंने अपनी आंटी को चोदने का प्लान बनाया था। दोस्तों पहले में अपनी आंटी के बारे में बताता हूँ। मेरी आंटी का नाम गीता वो एक टीचर हैं। वो दिखने में बहुत ही सेक्सी हैं और आंटी के घर में सिर्फ़ अंकल और आंटी ही रहते और अंकल एक बिजनेसमेन है। अंकल हफ्ते में तीन या चार बार बाहर ही रहते थे और आंटी रोज़ सुबह 9 बजे स्कूल जाती है और वापस शाम को चार बजे घर आती है। में भी रोज़ सुबह 9 बजे आंटी के साथ ही जाता था। उनका स्कूल मेरे कॉलेज के पास ही था तो में रोज़ सुबह उनके घर जाता और उनके साथ कॉलेज चला जाता और उनका घर मेरे घर के ठीक सामने ही हैं।
फिर एक दिन ऐसा ही में सुबह रेडी होकर 8.45 को उनके घर में गया। डोर ओपन ही था तो में सीधा बेडरूम में ही गया देखा तो आंटी सिर्फ पेंटी में थी। फिर में उनको देखता ही रह गया और तभी उन्होंने मुझे देखकर उनके बूब्स छुपा लिये और उन्होंने मुझे बाहर जाने के लिए बोल दिया और फिर पांच मिनट के बाद आंटी साड़ी पहन कर बाहर आई और फिर मेरे दिमाग में सिर्फ़ वो नज़ारा था। दोस्तों मैंने मेरी लाईफ में फर्स्ट टाईम किसी लेडी के बूब्स देखे थे और तभी से मेरे होश खो गये। फिर आंटी ने मुझे देखकर एक स्माइल दी बोली चलो चलते है।
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तभी मैंने आंटी को सॉरी बोला और कहा कि मुझे डाइरेक्ट बेडरूम में नहीं आना था। तभी आंटी बोली ये सब चलता रहता टेंशन मत लो। फिर मुझे ऐसा लगा कि आंटी ने जानबूझ कर डोर ओपन रखा था ताकि में उनको नंगा देख सकूँ। में समझ गया फिर में शाम को घर वापस आया और खाना ख़ाकर सो गया करीब 4.50 को में उठा देखा तो आंटी अभी नहीं आई थी तो मैंने फ्रेश होकर चाय पी तब तक आंटी वापस आई तो में फिर से उनके घर गया तो आंटी फ्रेश होकर लेट गई थी और तभी आंटी ने मुझे देखकर कहा कि संदीप मेरी बॉडी में बहुत दर्द हो रहा है क्या तुम मुझे मदद करोगे? फिर मैंने बोला हाँ तो वो बोली तुम थोड़ी मेरी बॉडी को मसाज कर दो।
में तो बोला ठीक है फिर आंटी बोली डोर लॉक कर दो में उस टाइम टीशर्ट और बरमुडे में था और में आंटी के पास गया और उनका पैर दबा रहा था तो उनकी साड़ी बीच में आ रही थी तो मैंने आंटी को बोला आप साड़ी चेंज करो कुछ और पहन लो बोला तो आंटी बोली क्यों में बोला साड़ी बीच में आ रही है। तो आंटी बोली तुम ही मेरी साड़ी उतार दो। तभी मैंने कहा जी हाँ तभी मैंने साड़ी उतार दी और वो मेरे सामने सिर्फ़ ब्लाउज और पेटीकोट में थी और फिर मैंने उनके पैर दबाना शुरू किया और में थोड़ा थोड़ा ऊपर जा रहा था। अब मेरा हाथ उनकी गांड के पास आ गया तो मुझे बहुत डर लग रहा था। में कमर पर मालिश करने लगा तभी आंटी बोली थोड़ा और नीचे तो मेरा हाथ सीधा उनकी गांड पर लग गया। अब मेरा 8 इंच का लंड धीरे धीरे खड़ा हो रहा और में ऐसा ही करता रहा बीच बीच में मेरा लंड आंटी के हाथ को लग रहा था शायद अब आंटी पहचान गई और तभी आंटी बोली अब हाथ दबाओ। फिर में हाथ दबा रहा था उनके बूब्स थोड़ा टच हो रहे थे फिर थोड़ी देर बाद आंटी बोली अलमारी में ऑयल हैं ले लो। फिर मैंने एक हाथ मे ऑयल ले लिया तभी आंटी कहने लगी कि अब मेरी पूरी बॉडी पर लगाओ। फिर में ऑयल लगा रहा था और तभी कुछ देर बाद में रुक गया। दोस्तों ये कहानी आप कामुकता डॉट कॉम पर पड़ रहे है।
तभी आंटी बोली क्यों रुक गया? फिर में कहने लगा कि आपका पेटीकोट खराब हो ज़ायेगा अगर यहाँ ऑयल लगाया तो और तभी आंटी बोली उतार दो। तभी मैंने कहा जी, वो बोली हाँ उतार दो बेटा और फिर मैंने उनका पेटिकोट उतार दिया। अब उनकी काले कलर की पेंटी देखकर मेरा हाल पूरा बिगड़ गया और फिर मैंने ऑयल उनके पेट पर डाल दिया पूरी मालिश करने लगा। तभी मेरा हाथ बार बार उनकी पेंटी को लग रहा था। तभी आंटी की आवाज़ निकलने लगी तभी में समझ गया कि आंटी गरम हो गई हैं।
फिर में थोड़ा ऊपर आ गया फिर मैंने उनका ब्लाउज भी निकाल दिया अब वो मेरे सामने सिर्फ़ ब्रा और पेंटी में ही थी। तभी मुझे ऐसा लग रहा था कि में सपने में हूँ। फिर थोड़ी देर बाद माँ की आवाज़ आई और में वापस घर आया। अब मेरे दिमाग में सिर्फ़ वो चल रहा था और में बाथरूम गया तो देखा कि मेरी अंडरवियर गीली हो गई थी। फिर मैंने मुठ मारी और फिर पड़ने के लिए बैठा ही था कि उतने में आंटी घर आई और माँ को बोली आज मेरे पति गाँव गये हैं। वो दिन तक वापस नहीं आने वाले तो प्लीज़ संदीप को आप सोने के लिए भेजिए। मुझे रात में डर लगता हैं। तभी माँ ने कहा कि ठीक हैं। तभी में बहुत खुश हो गया की बता नहीं सकता और आंटी मुझे स्माईल देकर देखती हुई चली गई।
फिर में रात आठ बजे उनके घर चला गया मैंने देखा कि आंटी खाना बना रही थी। तभी वो मुझसे बोली संदीप तू रूम में जाकर लेट जा मुझे अभी थोड़ा टाईम लगेगा। फिर मैंने कहा ठीक है फिर में सोने के लिए बेडरूम में चला गया और सो गया। फिर करीब 12.30 बजे आंटी मेरे बाजू में आकर सो गई और रात 2 बजे में अचानक नींद से उठ गया। तभी मैंने देखा कि आंटी पास में सोई हुई थी तभी मुझे बहुत प्यास लगी तो में पानी पीने किचन में गया। तभी आंटी भी उठ गई और फिर बोली मेरे लिए भी एक ग्लास पानी लाना तो में समझ गया कि अब मुझे फिर से स्टार्ट हो जाना चाहिए। फिर में वापस आकर सोने का नाटक करता रहा ऐसे ही में 20 मिनट सोने का नाटक कर रहा था। फिर मैंने एक हाथ उनके पेट पर रखा और ऐसे एक्टिंग करते करते उनके बूब्स पर हाथ रखा दिया तभी मुझे लगा कि आंटी बिना ब्रा के सो रही हैं। फिर में धीरे धीरे बूब्स को दबाता रहता और फिर मैंने एक पैर उनके पैरो के बीच में डाल दिया और धीरे धीरे उनके बूब्स दबाते थोड़ा नीचे आकर उनकी नाईटी को थोड़ा ऊपर किया।
फिर में उनकी पेंटी के ऊपर हाथ रगड़ने लगा तब धीरे धीरे आंटी की आवाज़ आ रही थी वो सिसकियाँ लेने लगी। अब में समझ गया कि आंटी गरम हो रही हैं। फिर में नीचे गया पेंटी के ऊपर से ही उनकी चूत को चाटने लगा मुझे इतना मस्त लग रहा था। फिर मैंने उनकी पेंटी भी उतार दी और देखा कि उनकी चूत के ऊपर एक भी बाल नहीं हैं वो एकदम क्लीन शेव थी। फिर मैंने उनकी चूत चाटना शुरू किया और ऊपर से उनके बूब्स दबाता रहा। तभी आंटी ने मेरे सर पर हाथ रखा और ज़ोर ज़ोर से चूत पर दबाने लगी। अब में चूत चाटता रहा तभी आंटी झड़ गई और में पूरा पानी पी गया और अब आंटी के ऊपर आ गया। तभी मैंने उनके पूरे कपड़े उतार दिये और फिर उनको लिप किस करने लगा और पागलों की तरह चूमने लगा।
तभी में दो बार अंदर ही झड़ गया था। फिर आंटी ने मेरे कपड़े उतारे और मेरा 8 इंच का लंड देखकर घबरा गई और बोली इतना बड़ा तभी वो मेरे लंड को पकड़ कर चूसने लगी ऐसे जैसे लोलीपोप हो। फिर हम दोनो 69 पोज़िशन में आ गये तभी में मुहं में ही झड़ गया और वो सारा वीर्य पी गई। तभी कुछ देर बाद मेरा लंड सो गया तभी आंटी ने फिर से लंड को मुहं मे लेकर खड़ा कर दिया और जोर जोर से चूसने लगी। फिर उन्होंने लंड को मुहं से बाहर निकाल कर चूत पर रगड़ना शुरू किया। तभी मैंने एक जोर का धक्का दिया और लंड चूत में चला गया फिर में भी ज़ोर से धक्के मारने लगा। तभी वो चीखने लगी और बोली थोड़ा धीरे करो प्लीज़ लेकिन में ऐसे ही करता रहा। फिर थोड़ी देर बाद उनको भी मज़ा आ रहा था।
करीब 30 मिनट के बाद में चूत के अंदर ही झड़ गया फिर हम दोनो एक दूसरे पर सोते रहे और कुछ देर बाद आंटी बोली में टॉयलेट करके आती हूँ। तभी मैंने कहा कि में पेशाब पीना चाहता हूँ तो वो बोली ठीक है चलो मेरे साथ और फिर में टॉयलेट रूम में गया। फिर उनकी चूत पर अपना मुहं रखा और उनका पेशाब पी गया बहुत टेस्टी लग रहा था। इतने में आंटी बोली कि मुझे भी तेरा पेशाब पीना है और फिर मेरा लंड मुहं में ले लिया और फिर मैंने भी उनके मुहं में पेशाब कर दिया। ऐसे ही मैंने सुबह तक आंटी को 6 बार चोदा था ।।
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