Monday 19 September 2016

Dehradun Se Chandigarh

देहरादून से चंडीगड़

हैल्लो दोस्तों मेरा नाम रणबीर है और मेरी उम्र 25 साल की है। दोस्तों में भी अपनी आप बीती कामुकता डॉट कॉम के ज़रिए आप सभी लोगो से शेयर करना चाहता हूँ। दोस्तों बात यह बात आज से 1 साल पहले की है.. जब में चंडीगड़ एक जरूरी काम के सिलसिले में गया था। फिर में शाम 4 बजे देहरादून के लिए बस अड्डे पर बस का इंतज़ार कर रहा था। फिर एक 35-40 साल के सज्जन एक बहुत ही खूबसूरत 22-23 साल की लड़की के साथ मेरे पास आये। फिर वो बोले कि क्या आप देहरादून जा रहे है? तभी मैंने हाँ कह दी फिर मेरे हाँ कहने पर वो बोले कि ये मेरी साली है और इसे भी देहरादून जाना है.. प्लीज़ इसे आप अपने साथ बैठा लें।
फिर मैंने उसे ऊपर से नीचे तक देखा, उसका गदराया बदन और उसके सुडोल बूब्स स्वेटर से बाहर आने को बैताब थे। तभी मैंने तुरंत उन्हे बाहर से ही अपनी सीट नंबर बता दी। फिर वो दोनों बस में गये और मेरी सीट के पास वाली सीट पर अपना बेग रखकर वो लड़की बैठ गयी और वो सज्जन नीचे उतर कर मेरे पास आए और फिर मुझे थॅंक्स कहने लगे। फिर वो कुछ और बात करना चाहते थे परंतु बस स्टार्ट हो गयी तो में तुरंत बस में चला गया। तभी मुझे आता देख उस लड़की ने अपना बेग अपनी गोद में रख लिया। फिर मैंने उसका बेग लेकर ऊपर स्टेण्ड पर रख दिया.. लेकिन उससे बेग लेते वक़्त मेरा एक हाथ उसकी चूची को और दूसरा हाथ उसकी जाँघ को छू गया था।
फिर मैंने उसको देखा तो वो मुस्करा रही थी। तभी मैंने सोचा हँसी तो फंसी। फिर बस चल पड़ी थी और थोड़ी देर में लड़की ने मुझसे बातें शुरू कर दी। फिर वो बोली कि मेरा नाम रीता है। में रामनगर रहती हूँ लेकिन अभी कुछ समय पहले ही मेरे पापा का तबादला देहरादून में हुआ है। वो वहाँ पर एक गोदाम में इंचार्ज है। में पहली बार उनके पास जा रही हूँ। मेरे जीजा जी चंडीगड़ में प्राईवेट कंम्पनी में मॅनेजर है।
फिर में भी उससे खुलने के लिए बातें करता रहा। बस पूरी भरी थी और बस में खड़े खड़े भी लोग जा रहे थे। फिर बस हिचकोले खाती तो खड़ी वाली सवारी मेरे ऊपर झुक जाती थी और में भी रीता की तरफ झुक जाता। फिर उसके भाव से मुझे भी नहीं लगा कि उसे बुरा लग रहा था।
फिर में भी अपने पैर और कोहनी फैला कर बैठ गया। तभी मेरी कोहनी उसकी चूची को छू रही थी। पहली बार तो वो सिकुड कर बैठ गयी। फिर मैंने देखा कि खड़ी हुई सवारी हमें घूर रही थी.. तो में भी ठीक से बैठ गया उससे बिल्कुल चिपककर। फिर हमारी जांघे आपस में रगड़ खा रही थी और उतेज्ना पैदा कर रही थी। तभी इस रगड़ा-रगड़ी में कब मेरी आँख लग गयी मुझे पता नहीं चला।
फिर यमुना नगर आने पर रीता ने मुझे जगाया तो मैंने देखा कि अधिकतर सवारी उतर गयी थी और शाम का थोड़ा थोड़ा अंधेरा भी हो गया था।
तभी रीता ने चाय पीने की इच्छा ज़ाहिर की तो तभी मैंने अगली बार बस के रुकने पर बस से उतर कर चाय और चिप्स ले आया। फिर 10 मिनट बाद बस चल पड़ी। बस में 10-12 सवारी रह गयी थी। फिर ठंड भी ज़्यादा लगने लगी और रीता ठंड के मारे सिकुड कर बैठ गयी। तभी में भी खिड़की बंद करने लगा तो देखा कि खिड़की का शीशा टूटा हुआ था। फिर मैंने पीछे देखा तो आखरी सीट खाली थी। फिर मैंने रीता को पीछे वाली सीट पर चलने के लिए कहा और हम आखरी सीट पर शिफ्ट हो गये। खिड़की बंद होने के बाद भी रीता को ठंड लग रही थी। तभी उसने बोला कि मेरे बेग से मेरा शाल निकाल दीजिए। फिर मैंने शाल निकाल कर उसके पैरों पर डाल दिया। फिर थोड़ी देर तक हम इधर-उधर की फालतू बातें करतें रहे। फिर उसने अपना शाल मेरे पैरों पर भी ढक दिया और अपने गले तक ढक लिया। तभी में समझ गया कि रीता गरम हो रही हैं। तभी में यकीन करने के लिए उसकी चुचियों को अपनी कोहनी से दबाने लगा लेकिन उसने कोई एतराज नहीं किया तो मेरा हौसला बढ़ा और मैंने उसका हाथ अपने हाथ में ले लिया और फिर धीरे धीरे सहलाने लगा। तभी उसने अपना सर मेरे कंधे पर रख दिया। फिर मैंने उसके गालों को चूम लिया तो उसने अपने होंठ मेरी तरफ कर दिए। फिर में धीरे धीरे उसके होंठ चूसने लगा।
फिर में मौका देखकर उसके स्वेटर और टॉप ऊपर कर धीरे धीरे उसकी गठीली चूचियां दबाने लगा। शायद रीता को मज़ा आ रहा था और उसने मुझे पागलो की तरह चूमना शुरू कर दिया। हमारी चुम्मा-चाटी की आवाज़ सुनकर अगली सीट पर बैठे बुजुर्ग साहब पीछे मुड़कर देखने लगे। तभी हम दोनों सीधे होकर बैठ गये। फिर थोड़ी देर बाद मैंने उसका हाथ पकड़ कर अपने खड़े हुए लंड पर रख दिया। फिर उसने एकदम से अपना हाथ हटा लिया। फिर मैंने दोबारा उसका हाथ अपने लंड के ऊपर रख दिया। लेकिन इस बार उसने अपना हाथ नहीं हटाया और पेंट के ऊपर से ही दबाने लगी। फिर मैंने उत्तेजना में उसकी निप्पल को उंगली और अंगूठे से जोर से दबा दिया। तभी उसके मुहं से उईईईई निकल पड़ी।
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फिर हमारे आगे बैठे बुज़ुर्ग सो रहे थे तो उन्होंने आवाज़ नहीं सुनी। इतने में साहरनपुर आ गया। फिर कंडक्टर ने बुजुर्ग साहब को जगाया और साहरनपुर आने की सूचना दी। वो उतरते वक़्त हमको घूर के देख रहे थे। फिर साहरनपुर से चलते ही बस में हमको मिलाकर सिर्फ़ 4 सवारियां थी और बाकी 3 आगे बैठी थी। अब तक हम दोनों बहुत उत्तेजित हो चुके थे। मेरे सब्र का बाँध टूट चुका था। जैसे ही बस शहर से बाहर आई ड्राइवर ने लाइट्स बंद कर दी। में बगेर वक़्त गवाए उसकी चूचियों को चूसने लगा और एक हाथ उसकी सलवार के ऊपर से ही चूत रगड़ने लगा। फिर रीता ने मेरा हाथ पकड़ कर अपनी सलवार के अंदर कर दिया और मेरी पेंट कि ज़िप खोलकर मेरा 7 इंच का लंड बाहर निकाल कर ऊपर नीचे करने लगी। फिर उसकी चूत से रस नदी की तरह बह रहा था।
फिर मैंने उसकी चूत को रगड़ा तो उसके मुहं से सिसकियाँ निकल रही थी। अह्ह्ह सीईईई आप ये क्या कर रहे हो.. मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा। फिर मैंने उसकी रसीली चूत में अपनी उंगली घुसा दी और अंदर बाहर करने लगा। फिर हम दोनों फ़चा फ़च्छ की आवाज़ से बहुत उत्तेजित हो रहे थे। रीता बहुत उत्तेजित हो गयी थी और वो अपने चूतड़ उछाल-उछाल कर पूरा मज़ा ले रही थी.. ओह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्हहैई हाए और जल्दी से जल्दी करो.. फाड़ दो मेरी चूत। फिर में अपनी 2 उंगलियां उसकी चूत में और तेज़ी से अंदर बाहर करने लगा। तभी थोड़ी देर में रीता झड़ गयी और फिर उसने निढाल होकर अपना सर मेरे कंधे पर रख दिया। मैंने अपना हाथ उसकी सलवार से पोंछ लिया। रीता अपनी सलवार ठीक करने लगी। तभी में बोला कि तेरा तो काम हो गया लेकिन मेरी आग कैसे शांत होगी?
फिर यह बात सुनकर रीता हँसने लगी और फिर मेरी पेंट की ज़िप खोल मेरे लंड को पकड़ कर ऊपर नीचे करने लगी। तभी मैंने रीता की गर्दन पकड़ कर अपने लंड की तरफ़ झुका दिया। तभी उसने पहले लंड का सुपाड़ा चूसा फिर आधा लंड मुहं में लेकर अंदर बाहर करने लगी। तभी मैंने उससे कहा कि रीता लगता हैं जीजा जी से बहुत सीखा हैं? फिर वो कहने लगी कि अरे एक दिन मैंने जीजा जी और दीदी को चुदाई करते देख लिया और फिर जीजा जी को पता लग गया तो उन्होंने मौका देखकर किचन में मुझे पकड़ लिया और अपना लंड पजामे से निकालकर मुझे पकड़ा दिया और फिर मेरे हाथ का स्पर्श पाते ही उनका लंड तन गया। फिर इससे पहले कि में कुछ बोल पाती उन्होने लंड को मेरे मुहं में डाल दिया और खुद ही अंदर बाहर करने लगे। इतने में दीदी की आवाज़ आई तो तुरंत लंड पजामे में करके खसक गये। फिर तब से जब उनको मौका लगता वो चूचियां दबा देते या लंड चुसवाने लगते थे। फिर एक दिन जब में किचन में उनका लंड चूस रही थी तो दीदी ने देख लिया.. तभी दीदी ने तुरंत जीजाजी को मुझे देहरादून भेजने के लिए कहा।
फिर थोड़ी देर में देहरादून आ गया रात के 12 बज गये थे। फिर हम देहरादून से पहले ही उतार गये। मेनरोड पर ही नयी कॉलोनी थी.. उसे वहीं पर जाना था। कॉलोनी में 5-6 मकान ही थे, इसलिए मकान ढूँडने में ज्यादा दिक्कत नहीं हुई। फिर में सोच रहा था कि अब तो मुठ मारके ही काम चलाना पड़ेगा। मकान पर ताला लगा था। फिर एक पड़ोस के मकान मालिक से पूछा तो पता चला कि किसी रिश्तेदार की मौत पर बाहर गये है.. वो तो कल आएँगे। लेकिन उनको रीता के आने की खबर थी तो चाबी पड़ोस में ही देकर गये थे, यह सुनकर मेरी तो किस्मत खुल गयी। दोस्तों ये कहानी आप कामुकता डॉट कॉम पर पड़ रहे है।
फिर हम फटाफट घर खोलकर अंदर आ गये। फिर दरवाजा बंद करके मैंने रीता को दबोच लिया और उसके होंठ चूसने लगा। मुझसे और इंतज़ार नहीं हो रहा था और रीता भी गर्माने लगी थी। फिर मैंने उसके सारे कपड़े उतार फेंके जिससे रोशनी में उसका दूधिया बदन ग़ज़ब ढा रहा था। बड़े बड़े बूब्स पूरा बदन गदराया हुआ ऊपर से नीचे तक एकदम सेक्सी शरीर। तभी मुझे घूरता देख वो शरमा गयी और अपनी चूचियां अपने दोनों हाथों से छिपाने लगी। तभी मैंने उसे वहाँ पर पड़े बेड पर लेटा दिया और चूचियों को चूसने लगा। फिर अपना एक हाथ उसकी जाँघो पर फैरता हुआ चूत सहलाने लगा।
तभी रीता भी गर्म होने लगी और मुझे अपने कपड़े उतारने को कहा। फिर मैंने तुरंत अपने कपड़े उतार कर उसके पास में लेट गया। तभी वो बोली कि अब में तुम्हारी आग को ठंडी करती हूँ, यह कहकर वो मेरा लंड चूसने लगी। तभी मैंने उसे 69 पोजिशन पर लेटने को कहा तो उसने लंड बगेर मुहं से निकाले अपनी चूत मेरे मुहं पर कर दी। फिर चूत के दाने को जीभ से चाटने के बाद मैंने जीभ उसकी चूत में घुसा दी। तभी रीता के मुहं से सिसकियाँ और तेज़ हो गयी थी। अब में भी पागल होता जा रहा था। फिर मैंने उसे सीधा लेटाकर उसकी टाँगो के बीच बैठकर अपना लंड उसकी चूत में एक ही झटके में घुसा दिया और 2 मिनट तक ऐसे ही लेटा रहा।
तभी रीता बोली क्या सारी रात ऐसे ही पड़े रहना है? तभी मैंने उसकी चूत में जोरदार धक्के मारने शुरू कर दिए.. फ़चा-फ़च और बेड की चू-चू की आवाज़ से कमरा गूँज रहा था। तभी उसके मुहं से आवाजें आने लगी वो कह रही थी.. हाए-हाए उहह उहह और जोरो से चोदो रणबीर फाड़ डालो आज मेरी चूत। यह सुनकर में और तेज़ी से चोदने लगा। फिर वो कह रही थी.. अहह अहह बहुत मज़ा आ रहा हैं.. में झड़ने वाली हूँ रणबीर और फिर 5-7 धक्को में रीता झड़ गयी। तभी मैंने उससे कहा कि रीता में भी झड़ने वाला हूँ, कहाँ निकालूँ तेरे अंदर कि बाहर? फिर वो बोली कि बाहर ही निकालो। फिर मैंने झट से लंड चूत से निकालकर चूचियों के ऊपर कर अपना सारा वीर्य निकाल दिया।
फिर रीता ने मेरे लंड को चाट-चाट कर साफ कर दिया फिर थोड़ी देर तक हम ऐसे ही लेटे रहे। तभी मैंने कपड़े पहने और रीता बाथरूम में चली गयी। फिर बाथरूम से निकलकर उसने कपड़े पहनने की कोई जल्दी नहीं की और मेरे गले लग गयी और कहने लगी कि जीजू ने तो मुझे सिर्फ लंड चूसना सिखाया था.. लेकिन आज तो तुमने मुझे चुदना सिखाया दिया है। आज तुमने मुझे चोदकर पूरा किया है। बोलो अब दूसरी चुदाई कब करोगे? तभी उसकी बात सुनकर मन तो कर रहा था कि एक बार फिर चुदाई कर लूँ.. लेकिन मुझे देर बहुत हो गयी थी। फिर मैंने उसे कहा कि अगली चुदाई बहुत जल्द होगी और फिर मैंने रीता का मोबाईल नंबर लिया और दोबारा मिलने का वादा करके उसके होंठो को चूमकर बाय किया और चल दिया। तो दोस्तों मेरी थी मेरी यह सत्य घटना ।।
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